Plasama Therapy kya hai
जैसा की आप को भी पता होगा की कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, इस बीच राजधानी दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में प्लाज़मा का ट्रायल शुरू किया गया है। दोस्तों अभी तक कोई पुष्टि नहीं की जा सकती की प्लाज़मा थेरेपी के द्वारा कोरोना मरीज़ एकदम स्वस्थ हो जाएगा।
प्लाज़मा थेरेपी क्या है
सीधे तौर पर इस थेरेपी में एंटीबॉडी का इस्तेमाल किया जाता है किसी खास वायरस या वैक्टिरिया के खिलाफ शरीर में एन्टीबॉडी तभी बनता है ,जब इंसान उससे पीढ़ित होता है। अभी कोरोना वायरस फैला हुआ है जो मरीज इस वायरस की वजह बीमार हुआ था ,और जब वह ठीक हो जाता है तो उसके शरीर में इस कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एन्टीबॉडी बनता है। इसी एन्टीबॉडी के बल पर मरीज़ ठीक होता है। जब कोई मरीज़ बीमार रहता है तो उसके शरीर में एन्टीबॉडी तुरंत नहीं बन पाता। उसके शरीर में एन्टीबॉडी बनने में देरी की वजह से वह सीरियस हो जाता है। ऐसे में जो मरीज अभी अभी इस वायरस से ठीक हुआ है ,उसके शरीर में एन्टीबॉडी बना होता है वही एंटीबॉडी में उसके शरीर से निकाल कर दूसरे मरीज़ में डाल दिया जाता है। वह जैसे ही एंटीबॉडी मरीज़ के शरीर जाता है मरीज़ पर इसका असर होता है और वायरस कमजोर होने लगता है ,इससे मरीज़ के ठीक होने की सम्भावना ज्यादा बढ़ जाती है।
आसान सब्दो में कहा जाय तो जो व्यक्ति कोरोना संक्रमण से स्वास्थ्य हो चुका होता है उसके खून से प्लाज़मा निकला जाता है और दूसरे संक्रमित व्यक्ति के शरीर में डाल दिया जाता है। कोरोना से स्वास्थ्य हुए एक मरीज़ के अंदर से 400ml प्लाज़मा निकाला जा सकता है और उस 400ml प्लाज़मा को दो मरीजों को दिया जा सकता है।
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