विश्व डाक दिवस ( World Post Day)
विश्व डाक दिवस कब मनाया जाता है?
प्रत्येक वर्ष 09 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस मनाया जाता है। डाक सेवाओं की उपयोगिता और इसकी संभावनाओं को देखते हुए ही हर वर्ष 09 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की ओर से मनाया जाता है। विश्व डाक दिवस का उद्देश्य ग्राहकों के बीच डाक विभाग के उत्पाद के बारे में जानकारी देना, उन्हें जागरूक करना और डाकघरों के बीच सामंजस्य स्थापित करना है। वर्ष 2019 का विषय था – नवीनता, एकीकरण तथा समावेशन।
विश्व डाक दिवस का उद्देश्य:
विश्व डाक दिवस का उद्देश्य ग्राहकों के बीच डाक विभाग के उत्पाद के बारे में जानकारी देना, उन्हें जागरूक करना और डाकघरों के बीच सामंजस्य स्थापित करना है।
विश्व डाक दिवस का इतिहास:
स्वीडेन की राजधानी बर्नें में 1874 में यूनवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) की स्थापना समारोह मनाने के लिए विश्व डाक दिवस मनाया जाता है। 1969 में जापान के तोक्यू में हुई यूनवर्सल पोस्टर यूनियन की कांग्रेस द्वारा 09 अक्तूबर को विश्व डाक दिवस घोषित किया गया था। तब से पूरी दुनिया में डाक सेवाओं की महत्ता बताने के लिए डाक दिवस मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष लगभग 150 देश विश्व डाक दिवस मनाते हैं। इस अवसर पर विभिन्न देश नयी सेवाएं भी आरंभ करते हैं।
डाकघर किसे कहते है?
डाकघर एक सुविधा है जो पत्रों को जमा करने (पोस्ट करने), छांटने, पहुंचाने आदि का कार्य करती है। यह एक डाक व्यवस्था के तहत काम करता है।एक डाकघर एक सार्वजनिक विभाग भी है जो जनता को एक ग्राहक सेवा प्रदान करता है और उनकी मेल जरूरतों को संभालता है। डाकघर मेल से संबंधित सेवाएं प्रदान करते हैं जैसे कि पत्र और पार्सल की स्वीकृति, पोस्ट ऑफिस बॉक्स का प्रावधानऔर डाक टिकटों की बिक्री, पैकेजिंग, और स्टेशनरी। इसके अलावा, कई डाकघर अतिरिक्त सेवाएं प्रदान करते हैं जैसे सरकारी प्रपत्र प्रदान करना और स्वीकार करना (जैसे पासपोर्ट आवेदन), सरकारी सेवाओं और शुल्क (जैसे सड़क कर ), और बैंकिंग सेवाएं (जैसे बचत खाते और मनी ऑर्डर))। पोस्ट ऑफिस के मुख्य प्रशासक को पोस्टमास्टर कहा जाता है।
भारत में डाक सेवा:
01 जुलाई, 1876 को भारत यूनीवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बना। भारत यूनीवर्सल पोस्टल यूनियन की सदस्यता लेने वाला प्रथम एशियाई देश था। भारत में डाक सेवाओं का इतिहास बहुत पुराना है। भारत में एक विभाग के रूप में इसकी स्थापना 01 अक्तूबर, 1854 को लार्ड डलहौजी के काल में हुई। डाकघरों में बुनियादी डाक सेवाओं के अतिरिक्त बैंकिंग, वित्तीय व बीमा सेवाएं भी उपलब्ध हैं।
भारत में डाक सेवा से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य:
- भारतीय डाकघर का प्रधान कार्यलय देश की राजधानी नई दिल्ली में स्थित है।
- “पोस्ट-ऑफिस” शब्द का उपयोग वर्ष 1650 में किया गया था।
- भारत में पहली बार वर्ष 1766 में डाक व्यवस्था की शुरूआत की गई थी।
- इसके बाद वर्ष 1774 में वॉरेन हेस्टिंग्स ने कलकत्ता में प्रथम डाकघर स्थापित किया।
- चिट्ठी पर लगाये जाने वाले स्टेम्प की शुरूआत देश में वर्ष 1852 में हुई थी।
- 01 अक्टूबर 1854 को पूरे भारत हेतु महारानी विक्टोरिया के चित्र वाले डाक टिकट जारी किये गये।
- भारतीय डाक विभाग ने अब तक का सबसे बड़ा डाक टिकट पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी पर 20 अगस्त 1991 को जारी किया।
- भारतीय डाक विभाग ने 13 दिसम्बर 2006 को चन्दन, 7 फरवरी 2007 को गुलाब और 26 अप्रैल 2008 को जूही की खुशबू वाले सुगंधित डाक टिकट जारी किये हैं।
- भारत में वर्तमान डाक पिनकोड नंबर की शुरूआत 15 अगस्त 1972 को हुई थी।
- भारतीय डाक व्यवस्था ने 01 अक्टूबर 2004 को ही अपने सफर के 150 वर्ष पूरे किये थे।
- भारत में पोस्ट ऑफिस को प्रथम बार 1 अक्टूबर 1854 को राष्ट्रीय महत्व के प्रथक रूप से डायरेक्टर जनरल के संयुक्त नियंत्रण के अर्न्तगत मान्यता मिली थी।
राष्ट्रीय डाक सप्ताह:
भारतीय डाक विभाग के अनुसार 09 से 14 अक्टूबर के बीच विश्व डाक सप्ताह मनाया जाता है। राष्ट्रीय डाक सप्ताह मनाने का उद्देश्य आम जन को भारतीय डाक विभाग के योगदान से अवगत कराना है। सप्ताह के हर दिन अलग-अलग दिवस मनाये जाते हैं। 10 अक्टूबर को सेविंग बैंक दिवस, 11 अक्टूबर को मेल दिवस, 12 अक्टूबर को डाक टिकट संग्रह दिवस, 13 अक्टूबर को व्यापार दिवस तथा 14 अक्टूबर को बीमा दिवस मनाया जाता है। डाक दिवस पर बेहतर काम करने वाले कर्मचारियों को पुरस्कृत भी किया जाता है।
राष्ट्रीय डाक सप्ताह का उद्देश्य:
डाक सप्ताह का उद्देश्य ग्राहकों के बीच डाक विभाग के उत्पाद के बारे में जानकारी देना, उन्हें जागरूक करना और डाकघरों के बीच सामंजस्य स्थापित करना है। सेविंग दिवस पर ग्राहकों को डाक बचत योजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाती है। ग्राहकों को बताया जाता है कि कौन सी बचत योजना लाभदायक है।
एक टिप्पणी भेजें
Please comment on you like this post.