मौलिक अधिकार
मूल संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों की संख्या 7 थी, परन्तु 44 वें संविधान संशोधन (1978 ) द्वारा संपत्ति के मूल अधिकार को मात्र एक कानूनी अधिकार बना दिया गया जिसका उल्लेख अनुच्छेद 300 'क ' में है। अनुच्छेद 15,16,19 ,29 तथा 30 में दिए गए मूल अधिकार केवल भारत नागरिकों को प्राप्त है।
मौलिक अधिकार के प्रकार
वर्तमान भारत के नागरिकों को निम्लिखित छः मौलिक अधिकार प्राप्त है।
1.समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 -18 )
- कानून के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14) तथा धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध, महिलाओ एवं बच्चों को विशेष संरक्षड़ (अनुच्छेद 15)
- सरकारी पदों की प्राप्ति के लिए अवसर की समानता (समाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों को सेवाओं में विशेष आरक्षण की सुविधा ) (अनुच्छेद 16 )
- अस्पृश्यता का निषेध (अनुच्छेद 17 )तथा उपाधियों का अंत (अनुच्छेद 18 )
2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 -22 )
- विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रेस की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19-a ) तथा अस्त्र शस्त्र रहित शांति पूर्वक सम्मलेन की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19-b ).
- समुदाय और संघ निर्माण की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19-c ) (सैन्य बलों को छोड़कर )
- भारत राज्य छेत्र में अबाध भर्मण की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19-d ) तथा भारत राज्य के छेत्र में अबाध निवास की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19-e )
- वृत्ति ,उपजीविका या कारोबार की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19-f )
- एक ही आपराधिक मामले में व्यक्ति को दो बार सजा नहीं दी जा सकती है अपराध की दोष सिद्धि के विषय में संरछण (अनुच्छेद 20 )
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता तथा जीवन की सुरछा (अनुच्छेद 21 )
- 86वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 के द्वारा शिछा के अधिकार को मौलिक अधिकार में शामिल किया गया तथा इसे अनुच्छेद 21 ' क 'के अंतर्गत वर्णित किया गया इसके अनुसार 6-14 वर्ष की आयु के समस्त बच्चों हेतु निःशुल्क तथा अनिवार्य शिछा की व्यवस्था की गई।
- बंदीकरण की व्यवस्था में संरछण (निवारक निरोध ) (अनुच्छेद 22 )
3.शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24 )
- मनुष्यों के क्रय -विक्रय और बेगार पर रोक (अनुच्छेद 23 )
- 14 वर्ष से कम आयु के बच्चो को कारखानों ,खानो तथा अन्य खतरनाक काममें नौकरी पर रखने का निषेध (अनुच्छेद 24 ).
4.धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 -28 )
- अंतःकरण की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25 ) तथा धार्मिक मामलों का प्रबंध करने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 26 )
- धार्मिक व्यय के लिए निश्चित धन पर कर की आदयगि से छूट (अनुच्छेद 27 ) तथा शिछण संस्थाओ में धार्मिक शिछा प्राप्त करने या न प्राप्त करने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 28 )
5.संस्कृति और शिछा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 -30 )
संविधान सभी अल्पसंख्यकों को अधिकार देता है कि वे अपनी भाषा, लिपि व् संस्कृति को बनाये रख सकते है, और इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए वे शिछा संस्थाओ की स्थापना भी कर सकते है।
नोट : अनुच्छेद 31 में सम्पत्ति के अधिकार को 44 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1978 द्वारा निरसित कर दिया गया है।
6.सवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32 )
- संविधान द्वारा प्रदान किये गए इस अधिकार को डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने संविधान के हृदय तथा आत्मा की संज्ञा दी।
- यह अधिकार सभी नागरिको को छूट देता है कि वे अपने मूल अधिकारों के संरछण के लिए सीधे सर्वोच्च न्यायालय के पास जा सकते है तथा अपने अधिकारों को लागू करने की मांग क्र सकते है।
- सर्वोच्च न्यायालय इन अधिकारों की रच्छा हेतु पांच प्रकार के न्यायिक अभिलेख जारी कर सकता है -- बंदी प्रत्यच्छीकरण, परमादेश लेख, प्रतिषेध लेख, अधिकार पृच्छा लेख, उत्प्रेषण लेख, आदि।
मौलिक अधिकारों का निलंबन
- जब राष्ट्रपति देश में अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा (युद्ध और बाह्य आक्रमण के आधार पर )करता है, तो अनुच्छेद 358 के अंतर्गत अनुच्छेद 19 के तहत प्राप्त सभी मौलिक अधिकार निलंबित हो जाते है।
- अन्य मौलिक अधिकारों को राष्ट्रपति अनुच्छेद 359 के तहत अधिसूचना जारी कर निलंबित क्र सकता है।
- 44 वे संविधान संशोधन(1978 ) के तहत आपात के दौरान भी अनुच्छेद 20 और 21 द्वारा प्रदत्त अधिकार समाप्त नहीं किये जा सकते।
- संविधान के अनुच्छेद 31 (ख ) में मौलिक अधिकारों पर युक्ति निर्बंधन की व्यवस्था है।
- गोलकनाथ वाद में सर्वोच्च न्यायालय ने मौलिक अधिकारों में मनमाने पूर्ण संशोधन पर रोक लगाया। केशवानंद भारतीवाद में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मूल ढांचे का सिद्धांत प्रतिपादित किया गया।
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