जनसंख्या वृद्धि को रोकने के उपाय
दुनिया में सबसे अधिक तेजी से जनसंख्या वृद्धि भारत में होती है। आज यह भारत
की सबसे बड़ी समस्या बन गयी है। क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत की जनसंख्या बहुत
अधिक है। जनसंख्या वृद्धि के अनेक कारण है जैसे अशिक्षा, बेहतर चिकित्सा सुविधा, बाल
विवहा, अंधविश्वास आदि। जनसंख्या वृद्धि से अनके समस्याएं उत्पन्न हो रही है जिनमें
प्रमुख है पर्यावरण प्रदूषण, गरीबी, बेरोजगारी, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं इन समस्याओं से
छुटकारा पाने के लिए प्रयास करना आवश्यक है तथा इसके लिए जनसंख्या वृद्धि पर
नियंत्रण करना सबसे ज्यादा आवश्यक है। जनसंख्या वृद्धि में नियंत्रण रखने में विज्ञान
द्वारा किये गए उपाय कारगर साबित हो सकते है। आज विज्ञान ने इतनी प्रगति कर ली
है। कि इसके माध्यम से जनसंख्या वृद्धि जैसी जटिल समास्या पर काबू पाया जा सकता
है तथा हमारा भारत देश विकास की ओर अग्रसर हो सकता है।
की सबसे बड़ी समस्या बन गयी है। क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत की जनसंख्या बहुत
अधिक है। जनसंख्या वृद्धि के अनेक कारण है जैसे अशिक्षा, बेहतर चिकित्सा सुविधा, बाल
विवहा, अंधविश्वास आदि। जनसंख्या वृद्धि से अनके समस्याएं उत्पन्न हो रही है जिनमें
प्रमुख है पर्यावरण प्रदूषण, गरीबी, बेरोजगारी, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं इन समस्याओं से
छुटकारा पाने के लिए प्रयास करना आवश्यक है तथा इसके लिए जनसंख्या वृद्धि पर
नियंत्रण करना सबसे ज्यादा आवश्यक है। जनसंख्या वृद्धि में नियंत्रण रखने में विज्ञान
द्वारा किये गए उपाय कारगर साबित हो सकते है। आज विज्ञान ने इतनी प्रगति कर ली
है। कि इसके माध्यम से जनसंख्या वृद्धि जैसी जटिल समास्या पर काबू पाया जा सकता
है तथा हमारा भारत देश विकास की ओर अग्रसर हो सकता है।
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भारत में जनसंख्या वृद्धि |
हमारे देश में विज्ञान ने काफी विकास किया है। आज विश्व मे जब कही भी विज्ञान
के विकास की चर्चा होती है तो हमारे देश का नाम अवश्य लिया जाता है। विज्ञान के क्षेत्र
में व्यापक स्तर पर विकास कर लेने के बाद भी हमारे देश का नाम विकसित देशों की सूची
में नही आता आज भी भारत की गिनती विकासशील देशों मे होती है। इसका कारण है,
हमारे देश की बढ़ती हुई जनसंख्या। अधिक जनसंख्या होने के कारण विज्ञान का लाभ
सही ढंग से हर व्यक्ति के नहीं पहुँच पाता। इसीलिए हमारे देश का जितना विकास होना
चाहिए नही हो पा रहा है।
के विकास की चर्चा होती है तो हमारे देश का नाम अवश्य लिया जाता है। विज्ञान के क्षेत्र
में व्यापक स्तर पर विकास कर लेने के बाद भी हमारे देश का नाम विकसित देशों की सूची
में नही आता आज भी भारत की गिनती विकासशील देशों मे होती है। इसका कारण है,
हमारे देश की बढ़ती हुई जनसंख्या। अधिक जनसंख्या होने के कारण विज्ञान का लाभ
सही ढंग से हर व्यक्ति के नहीं पहुँच पाता। इसीलिए हमारे देश का जितना विकास होना
चाहिए नही हो पा रहा है।
जनसंख्या वृद्धि का स्वरूप
जनसंख्या वृद्धि का स्वरूप जानने से पहले हमें जन्मदर और मृत्यदर को समझना
आवश्यक है। जन्म दर प्रतिवर्ष प्रति हजार व्यक्ति पर पैदा होने वाले जीवित बच्चों की
संख्या को जन्म दर कहते है।
मृत्युदर प्रतिवर्ष प्रति हजार व्यक्ति पर मृत व्यक्तियों की संख्या को मृत्युदर कहते
है। अर्थात एक वर्ष में पैदा हुए बच्चों की संख्या में से उस वर्ष में मरने वालों की संख्या
को घटा दें तो जनसंख्या वृद्धि का पता चल जाता है।
आवश्यक है। जन्म दर प्रतिवर्ष प्रति हजार व्यक्ति पर पैदा होने वाले जीवित बच्चों की
संख्या को जन्म दर कहते है।
मृत्युदर प्रतिवर्ष प्रति हजार व्यक्ति पर मृत व्यक्तियों की संख्या को मृत्युदर कहते
है। अर्थात एक वर्ष में पैदा हुए बच्चों की संख्या में से उस वर्ष में मरने वालों की संख्या
को घटा दें तो जनसंख्या वृद्धि का पता चल जाता है।
प्रतिवर्ष पैदा होने वाले बच्चों की संख्या-मरने वाले व्यक्तियों की संख्या = जनसंख्या वृद्धि
दुनिया में सबसे अधिक तेजी से जनसंख्या वृद्धि भारत में हो रही है। पूरे विश्व में
हर साल 8 करोड की जनसंख्या वृद्धि होती है जिसमें से 2 करोड़ की वृद्धि अकेले भारत
करता है। अर्थात पूरी दुनिया की कुल जनसंख्या वृद्धि का एक चौथाई हिस्सा अकेले भारत
के हिस्से में आता है। भारत में प्रति मिनट 52 बच्चे पैदा होते है। जनसंख्या की दृष्टि से
भारत विश्व का दूसरा सबसे बडा देश है। पहले स्थान पर चीन है। किन्तु क्षेत्रफल की दृष्टि
से भारत का स्थान विश्व में सातवाँ है। क्षेत्रफल के अनुपात में भारत की जनसंख्या कई गुना
है। इसलिए यहाँ जनसंख्या वृद्धि के कारण जनजीवन से जुडी अनेक समस्याएं पैदा हो गई
है।
हर साल 8 करोड की जनसंख्या वृद्धि होती है जिसमें से 2 करोड़ की वृद्धि अकेले भारत
करता है। अर्थात पूरी दुनिया की कुल जनसंख्या वृद्धि का एक चौथाई हिस्सा अकेले भारत
के हिस्से में आता है। भारत में प्रति मिनट 52 बच्चे पैदा होते है। जनसंख्या की दृष्टि से
भारत विश्व का दूसरा सबसे बडा देश है। पहले स्थान पर चीन है। किन्तु क्षेत्रफल की दृष्टि
से भारत का स्थान विश्व में सातवाँ है। क्षेत्रफल के अनुपात में भारत की जनसंख्या कई गुना
है। इसलिए यहाँ जनसंख्या वृद्धि के कारण जनजीवन से जुडी अनेक समस्याएं पैदा हो गई
है।
भारत की 70 प्रतिशत जनसंख्या गांवो में रहती है। वहाँ जनसंख्या नियंत्रण के
उपायो का प्रयोग न हो पाने के कारण जन्म दर अधिक है। किन्तु शहरो में रोजगार की
तलाश में गांव के लोगो का पलायन होने से शहरो की जनसंख्या में वृद्धि हो रही है। इससे
शहरो में स्थान की कमी, पीने के पानी की समस्या , बिजली और यातायात की समस्या बढ
जाती है।
उपायो का प्रयोग न हो पाने के कारण जन्म दर अधिक है। किन्तु शहरो में रोजगार की
तलाश में गांव के लोगो का पलायन होने से शहरो की जनसंख्या में वृद्धि हो रही है। इससे
शहरो में स्थान की कमी, पीने के पानी की समस्या , बिजली और यातायात की समस्या बढ
जाती है।
विश्व में जनसंख्या वृद्धि का स्वरूप
दुनिया की कुल आबादी छ: अरब से भी अधिक है। ध्यान देने की बात तो यह है
कि इस बढती आबादी का सबसे अधिक हिस्सा विकासशील देशों का है। जहाँ अमेरिका,
फ्रांस , ब्रिटेन, जर्मनी आदि जैसे विकसित देशो की जनसंख्या वृद्धि की दर 0.1 प्रतिशत है।
चीन समेंत अन्य विकासशील देशो की औसत जनसंख्या वृद्धि 2.0 प्रतिशत है। इस बढती
हुई जनसंख्या में अधिकांश योगदान अफ्रीकी और एशियाई देशों का है। 1900 से लेकर
1975 तक दुनिया में हुई कुल जनसंख्या वृद्धि का 80 प्रतिशत हिस्सा विकासशील देशो का
रहा जो अब बढकर 98 प्रतिशत पहुँच गया है।
कि इस बढती आबादी का सबसे अधिक हिस्सा विकासशील देशों का है। जहाँ अमेरिका,
फ्रांस , ब्रिटेन, जर्मनी आदि जैसे विकसित देशो की जनसंख्या वृद्धि की दर 0.1 प्रतिशत है।
चीन समेंत अन्य विकासशील देशो की औसत जनसंख्या वृद्धि 2.0 प्रतिशत है। इस बढती
हुई जनसंख्या में अधिकांश योगदान अफ्रीकी और एशियाई देशों का है। 1900 से लेकर
1975 तक दुनिया में हुई कुल जनसंख्या वृद्धि का 80 प्रतिशत हिस्सा विकासशील देशो का
रहा जो अब बढकर 98 प्रतिशत पहुँच गया है।
अफ्रीकी देशो में जनसंख्या वृद्धि का औसत दर 2.5प्रतिशत है। ईरान, इराक, कुवैत,
यमन, ओामान, कतर, सीरिया आदि मुस्लिम देशो में जनसंख्या वृद्धि की औसत दर 2.2
प्रतिशत है। भारत , पाकिस्तान, श्री लंका, अफगानिस्तान, बंगला देश नेपाल और भूटान
जैसे दक्षेस (सार्क) देशों में औसत जनसंख्या वृद्धि की दर 1.9 प्रतिशत है। यही कारण है
कि इन्ही देशो में बेरोजगारी, निरक्षरता तथा भ्रष्टाचार जैसी जटिल समस्याएं है। सन 2000
तक भारत की कुल आबादी बढकर 1 अरब हो गई थी। इस दृष्टि से दुनिया का हर 60वां
व्यक्ति भारतीय है। 2007 में भारत की जनसंख्या 1,02,87,37,436 है। जिनमें 53,22,23,090
पुरूष तथा 49,65,14,436 महिलाएँ है। जिनमें 53,22,23,090 पुरूष तथा महिलाएँ है। जनसंख्या वृद्धि के कारण भारत दुनिया के कुछ समस्याग्रस्त देशों में से एक है। जनसंख्या वृद्धि के कारण – हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि के अनेक कारण है। उन्ही कारणो में से एक यह भी है कि चिकित्सा पद्धतियों, दवाईयों तथा वैज्ञानिक उपकरणो की खोज व प्रयोगो से विज्ञान ने मृत्युदर में तो नियंत्रण पा लिया है परंतु जन्मदर में नियंत्रण पाने में असमर्थ है। जनसंख्या वृद्धि को रोकने में विज्ञान की काफी बडी भूमिका है फिर भी जनसंख्या वृद्धि में पूरी तरह नियंत्रण नही हो पाया है।
यमन, ओामान, कतर, सीरिया आदि मुस्लिम देशो में जनसंख्या वृद्धि की औसत दर 2.2
प्रतिशत है। भारत , पाकिस्तान, श्री लंका, अफगानिस्तान, बंगला देश नेपाल और भूटान
जैसे दक्षेस (सार्क) देशों में औसत जनसंख्या वृद्धि की दर 1.9 प्रतिशत है। यही कारण है
कि इन्ही देशो में बेरोजगारी, निरक्षरता तथा भ्रष्टाचार जैसी जटिल समस्याएं है। सन 2000
तक भारत की कुल आबादी बढकर 1 अरब हो गई थी। इस दृष्टि से दुनिया का हर 60वां
व्यक्ति भारतीय है। 2007 में भारत की जनसंख्या 1,02,87,37,436 है। जिनमें 53,22,23,090
पुरूष तथा 49,65,14,436 महिलाएँ है। जिनमें 53,22,23,090 पुरूष तथा महिलाएँ है। जनसंख्या वृद्धि के कारण भारत दुनिया के कुछ समस्याग्रस्त देशों में से एक है। जनसंख्या वृद्धि के कारण – हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि के अनेक कारण है। उन्ही कारणो में से एक यह भी है कि चिकित्सा पद्धतियों, दवाईयों तथा वैज्ञानिक उपकरणो की खोज व प्रयोगो से विज्ञान ने मृत्युदर में तो नियंत्रण पा लिया है परंतु जन्मदर में नियंत्रण पाने में असमर्थ है। जनसंख्या वृद्धि को रोकने में विज्ञान की काफी बडी भूमिका है फिर भी जनसंख्या वृद्धि में पूरी तरह नियंत्रण नही हो पाया है।
पुरूष तथा 49,65,14,436 महिलाएँ है। जिनमें 53,22,23,090 पुरूष तथा महिलाएँ है।
जनसंख्या वृद्धि के कारण भारत दुनिया के कुछ समस्याग्रस्त देशों में से एक है।
जनसंख्या वृद्धि के कारण भारत दुनिया के कुछ समस्याग्रस्त देशों में से एक है।
वर्तमान में भारत की जनसंख्या में प्रतिवर्ष लगभग 1 करोड़ 70 लाख की
वृद्धि हो रही है। जनसंख्या में यह तीव्र वृद्धि देश के लिए अभिशाप है परिणामस्वरूप हमारे
यहॉं गरीबी, बेराजगारी व महॅंगाई आदि समस्याए दिनों-दिन बढ़ती जा रही हैं। इससे
हमारे आर्थिक विकास की सभी योजनाए निष्फल सिद्ध हो रही है। अत: यदि हमें विकास
की गति का लाभ उठाना है और उन्नत जीवन स्तर प्राप्त करना है तो जनसंख्या वृद्धि पर
नियन्त्रण करना अति आवश्यक है।
वृद्धि हो रही है। जनसंख्या में यह तीव्र वृद्धि देश के लिए अभिशाप है परिणामस्वरूप हमारे
यहॉं गरीबी, बेराजगारी व महॅंगाई आदि समस्याए दिनों-दिन बढ़ती जा रही हैं। इससे
हमारे आर्थिक विकास की सभी योजनाए निष्फल सिद्ध हो रही है। अत: यदि हमें विकास
की गति का लाभ उठाना है और उन्नत जीवन स्तर प्राप्त करना है तो जनसंख्या वृद्धि पर
नियन्त्रण करना अति आवश्यक है।
जनसंख्या वृद्धि को रोकने के उपाय
शिक्षा का प्रसार-
भारत की 80 प्रतिशत जनसंख्या गॉंवों में निवास करती है। जनसंख्या में
यह तीव्र वृद्धि देश के लिए अभिशाप बनती जा रही है। फलस्वरूप गरीबी, बेराजगारी तथा
महंगाई आदि समस्यायें दिनों दिन बढ़ती जा रही है। गांवों में शिक्षा की कमी और
अज्ञानता के कारण तथा नगरों में गंदी बस्तियों के लोगों में शिक्षा की कमी के कारण
जनसंख्या नियंत्रण का कोई भी कार्यक्रम सफल नहीं हो पा रहा है। अतएव लोगों में शिक्षा
का प्रसार कर ही जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण किया जा सकता है।
यह तीव्र वृद्धि देश के लिए अभिशाप बनती जा रही है। फलस्वरूप गरीबी, बेराजगारी तथा
महंगाई आदि समस्यायें दिनों दिन बढ़ती जा रही है। गांवों में शिक्षा की कमी और
अज्ञानता के कारण तथा नगरों में गंदी बस्तियों के लोगों में शिक्षा की कमी के कारण
जनसंख्या नियंत्रण का कोई भी कार्यक्रम सफल नहीं हो पा रहा है। अतएव लोगों में शिक्षा
का प्रसार कर ही जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण किया जा सकता है।
परिवार नियोजन-
जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए परिवार नियोजन के विभिन्न कार्यक्रमों
का प्रचार-प्रसार अति आवश्यक है। परिवार नियोजन कार्यक्रम को जन आंदोलन का रूप
दिया जाना चाहिए।
का प्रचार-प्रसार अति आवश्यक है। परिवार नियोजन कार्यक्रम को जन आंदोलन का रूप
दिया जाना चाहिए।
विवाह की आयु में वृद्धि करना-
हमारे देश में आज भी बाल विवाह की प्रथा है। अत: बाल-विवाह पर
कारगर कानूनी रोक लगायी जानी चाहिए। साथ ही लड़के-लडकियों की विवाह की उम्र
को भी बढ़ाई जानी चाहिए।
कारगर कानूनी रोक लगायी जानी चाहिए। साथ ही लड़के-लडकियों की विवाह की उम्र
को भी बढ़ाई जानी चाहिए।
संतानोत्पत्ति की सीमा निर्धारण-
परिवार, समाज और राष्ट्र के हित में संतान की सीमा निर्धारण करना अति
आवश्यक है। जनसंख्या विस्फोट से बचने के लिए प्रत्येक दम्पत्ति के संतानों की संख्या
1 या 2 करना अति आवश्यक है। चीन में इसी उपाय को अपनाकर जनसंख्या वृद्धि में
नियंत्रण पा लिया गया है।
आवश्यक है। जनसंख्या विस्फोट से बचने के लिए प्रत्येक दम्पत्ति के संतानों की संख्या
1 या 2 करना अति आवश्यक है। चीन में इसी उपाय को अपनाकर जनसंख्या वृद्धि में
नियंत्रण पा लिया गया है।
सामाजिक सुरक्षा-
हमारे देश में वृद्धावस्था, बेकारी अथवा दुर्घटना से सुरक्षा न होने के कारण
लोग बड़े परिवार की इच्छा रखते हैं। अतएव यहॉं सामाजिक सुरक्षा के कार्यक्रमों में
बेराजगारी भत्ता, वृद्धावस्था, पेंशन, वृद्धा-आश्रम चलाकर लोगों में सुरक्षा की भावना
जाग्रत की जाय।
लोग बड़े परिवार की इच्छा रखते हैं। अतएव यहॉं सामाजिक सुरक्षा के कार्यक्रमों में
बेराजगारी भत्ता, वृद्धावस्था, पेंशन, वृद्धा-आश्रम चलाकर लोगों में सुरक्षा की भावना
जाग्रत की जाय।
सन्तति सुधार कार्यक्रम-
जनसंख्या की वृद्धि को रोकने के लिए सन्तति सुधार कार्यक्रमों को भी
अपनाया जाना चाहिए। संक्रामक रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों के विवाह और सन्तानोत्पत्ति पर
प्रतिबंध लगाया जाये।
अपनाया जाना चाहिए। संक्रामक रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों के विवाह और सन्तानोत्पत्ति पर
प्रतिबंध लगाया जाये।
जीवन-स्तर को ऊॅंचा उठाने का प्रयास-
देश में कृषि व औद्योगिक उत्पादन को बढ़ाकर लोगों के जीवन स्तर को
ऊॅंचा उठाने के प्रयास किये जाने चाहिए । जीवन स्तर के ऊॅंचा उठ जाने पर लोग स्वयं
ही छोटे परिवार के महत्व को समझने लग जायेंगे।
ऊॅंचा उठाने के प्रयास किये जाने चाहिए । जीवन स्तर के ऊॅंचा उठ जाने पर लोग स्वयं
ही छोटे परिवार के महत्व को समझने लग जायेंगे।
स्वास्थ्य सेवा व मनोरजन के साधन-
देश के नागरिकों की कार्यकुशलता एवं आर्थिक उत्पादन की क्षमता को
बनाये रखने के लिए सार्वजनिक व घरेलू स्वास्थ्य सुविधा एवं सफाई पर ध्यान देना
आवश्यक है। डाक्टर, नर्स एवं परिचारिकाओं आदि की संख्या में वृद्धि किया जाना
चाहिए। ग्रामीणों को स्वास्थ्यप्रद जीवन व्यतीत करने तथा मनोरंजन के लिए पर्याप्त
साधन उपलब्ध कराया जाना चाहिए और इस बात का विशेष ध्यान रखा जाये कि गॉंवों
में स्त्री पुरूषों के लिए एकमात्र मनोरंजन का साधन न रहे।
बनाये रखने के लिए सार्वजनिक व घरेलू स्वास्थ्य सुविधा एवं सफाई पर ध्यान देना
आवश्यक है। डाक्टर, नर्स एवं परिचारिकाओं आदि की संख्या में वृद्धि किया जाना
चाहिए। ग्रामीणों को स्वास्थ्यप्रद जीवन व्यतीत करने तथा मनोरंजन के लिए पर्याप्त
साधन उपलब्ध कराया जाना चाहिए और इस बात का विशेष ध्यान रखा जाये कि गॉंवों
में स्त्री पुरूषों के लिए एकमात्र मनोरंजन का साधन न रहे।
जनसंख्या शिक्षा-
ये एक ऐसा कार्यक्रम है जो सरकार तथा स्वयं सेवी संगठनो द्वारा अपने अपने स्तर
पर चलाया जा रहा है। उसके माध्यम से लोगो की बढती हुई जनसंख्या से उत्पन्न
कठिनाईयाँ, दुष्प्रभावो, खान पान, बीमारी, स्वास्थ्य संबंधी गडबडियाँ, विवाह योग्य सही उम्र
आदि की जानकारी दी जाती है। अब तो जनसंख्या शिक्षा अनिवार्य कर दी गई है। ताकि
युवाओ में जनसंख्या के प्रति जागरूकता आ सके। लोगो को जागरूक बनाकर जनसंख्या
वृद्धि को कम किया जा सकता है।
पर चलाया जा रहा है। उसके माध्यम से लोगो की बढती हुई जनसंख्या से उत्पन्न
कठिनाईयाँ, दुष्प्रभावो, खान पान, बीमारी, स्वास्थ्य संबंधी गडबडियाँ, विवाह योग्य सही उम्र
आदि की जानकारी दी जाती है। अब तो जनसंख्या शिक्षा अनिवार्य कर दी गई है। ताकि
युवाओ में जनसंख्या के प्रति जागरूकता आ सके। लोगो को जागरूक बनाकर जनसंख्या
वृद्धि को कम किया जा सकता है।
परिवार नियोजन संबंधी शिक्षा-
लोगो को परिवार नियोजन की जानकारी देकर जनसंख्या वश्द्धि में नियंत्रण किया
जा सकता है। गर्भ निरोधकों के प्रयोग से जिसमें निरोध, कापरटी, नसबंदी, गर्भ निरोधको
की गोलियों का सेवन इत्यादि की जानकारी देकर तथा इनका प्रचार, प्रसार करके
जनसंख्या वृद्धि मे काबू पाया जा सकता है।
जा सकता है। गर्भ निरोधकों के प्रयोग से जिसमें निरोध, कापरटी, नसबंदी, गर्भ निरोधको
की गोलियों का सेवन इत्यादि की जानकारी देकर तथा इनका प्रचार, प्रसार करके
जनसंख्या वृद्धि मे काबू पाया जा सकता है।
महिला शिक्षा-
हमारे देश में आज भी महिलाओं की शिक्षा का स्तर पुरूषों की अपेक्षा काफी कम
है। महिलाओं के शिक्षित न होने के कारण व जनसंख्या वृद्धि के दृष्परिणामों को नही
समझ पाती। वे अपने खान पान पर भी ध्यान नहीं देपाती तथा जनसंख्या नियंत्रण में
अपना योगदान नहीं दे पाती। जिन क्षेत्रों मे महिलाओं का शिक्षा स्तर कम है। वहां
जनसंख्या वृद्धि दर अधिक है। पढ़ी लिखी महिलाएं जनसंख्या नियंत्रण के प्रति जागरूक
होती है।
इस तरह महिलाएं शिक्षित होंगी तो वे अपने बच्चों के खानपान, पोषण तथा
स्वास्थ्य पर भी ध्यान देंगी तथा जनसंख्या पर भी नियंत्रण होगा और एक स्वस्थ समाज
का निर्माण होगा।
है। महिलाओं के शिक्षित न होने के कारण व जनसंख्या वृद्धि के दृष्परिणामों को नही
समझ पाती। वे अपने खान पान पर भी ध्यान नहीं देपाती तथा जनसंख्या नियंत्रण में
अपना योगदान नहीं दे पाती। जिन क्षेत्रों मे महिलाओं का शिक्षा स्तर कम है। वहां
जनसंख्या वृद्धि दर अधिक है। पढ़ी लिखी महिलाएं जनसंख्या नियंत्रण के प्रति जागरूक
होती है।
इस तरह महिलाएं शिक्षित होंगी तो वे अपने बच्चों के खानपान, पोषण तथा
स्वास्थ्य पर भी ध्यान देंगी तथा जनसंख्या पर भी नियंत्रण होगा और एक स्वस्थ समाज
का निर्माण होगा।
यौन शिक्षा-
आज भी हमारे समाज में यौन संबंधों को छिपाने की चीज समझा ज्ञाता है। लोग
यौन संबंधी बातें तथा उससे जुड़ी समस्याओं पर खुलकर बातें करने से कतराते है। यौन
संबंधी जानकारी न होने के कारण लोग असमय तथा अधिक बच्चे पैदा करते है। यौन
संबंधी जानकारी से जनसंख्या वृद्धि को रोकने में सहायता मिल सकती है।
यौन संबंधी बातें तथा उससे जुड़ी समस्याओं पर खुलकर बातें करने से कतराते है। यौन
संबंधी जानकारी न होने के कारण लोग असमय तथा अधिक बच्चे पैदा करते है। यौन
संबंधी जानकारी से जनसंख्या वृद्धि को रोकने में सहायता मिल सकती है।
जन संपर्क-
कई स्वयं सेवी संगठन भी लोगो के बीच जाकर उनसे बातचीत कर जनसंख्या वृद्धि
से उत्पन्न समस्याओं की जानकारी देते हैं। उन्हें नुक्कड नाटको, सांस्कृतिक कार्यक्रमों
तथा तरह-तरह की प्रतियोगिताएं कराकर जनसंख्या वृद्धि के कारणों तथा समस्याओं की
जानकारी देकर उन्हे जागरूक बनाते है।
से उत्पन्न समस्याओं की जानकारी देते हैं। उन्हें नुक्कड नाटको, सांस्कृतिक कार्यक्रमों
तथा तरह-तरह की प्रतियोगिताएं कराकर जनसंख्या वृद्धि के कारणों तथा समस्याओं की
जानकारी देकर उन्हे जागरूक बनाते है।
जनसंचार माध्यमों द्वारा प्रचार प्रसार-
सरकार समाचार पत्रो, पत्रिकाओं, रेडियों, टेलीविजन पर परिवार नियोजन तथा
जनसंख्या शिक्षण संबंधी कार्यक्रमों को बढ़ावा दे रही है। इस प्रकार जनसंख्या वृद्धि से
होने वाली समस्याओं तथा उन्हें रोकने के उपयों का प्रचार प्रसार भी करती है।
जनसंख्या शिक्षण संबंधी कार्यक्रमों को बढ़ावा दे रही है। इस प्रकार जनसंख्या वृद्धि से
होने वाली समस्याओं तथा उन्हें रोकने के उपयों का प्रचार प्रसार भी करती है।
उपर्युक्त उपायों के अतिरिक्त अन्योन्य उपायों से जन्मदर में कमी करना विवाह की अनिवार्यता को ढीला बनाना, स्त्री शिक्षा, स्त्रियों के आर्थिक स्वावलम्बन पर जोर देना, गर्भपात एवं बन्ध्याकरण की विश्वसनीय सुविधाओं का विस्तार करना, अधिक सन्तान उत्पन्न करने वाले दम्पत्ति को सरकारी सुविधाओं से वंचित करना एक या दो बच्चे पैदा करने वाले दम्पत्ति को विभिन्न शासकीय लाभ दिया जाना चाहिए। 1970 के बाद चीन ने ‘एक दम्पत्ति एक सन्तान’ का नारा देकर अपनी बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने में सफलता प्राप्त की है।
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